अजोध्या बाजति आजु बधाई ।
गर्भ मुच्यौ कौशिल्या माता, रामचंद्र निधि आई।
गावैं सखी परसपर मंगल, रिषि अभिषेक कराई।
भीर भई दसरथ कै आँगन , सामवेद - धुनि छाई।
पूछत रिषिहिं अजोध्या कौ पति, कहियै जनम गुसाई।
भौम बार, नौमी तिथि नीकी, चौदह भुवन बड़ाई।
चारि पुत्र दसरथ के उपजे, तिहूँ लोक ठकुराई।
सदा-सर्वदा राज राम कौ,सूर दादि तहँ पाई।।17।।