हेमकूट

महाभारत के अनुसार हेमकूट हरिवर्ष के दक्षिण में स्थित एक पर्वत है।

  • इस पर्वत को पार करने के पश्चात् अर्जुन अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग मे हरिवर्ष पहुँचे थे-

‘सरोमानसमासाद्यहाटकानभितः प्रभुः गंधर्वरक्षितं देशमजयत् पांडवस्ततः। हेमकूटमासाद्य न्यविशत् फाल्गुनस्तथा, तं हेमकूटं राजेन्द्र समतिकम्य पांडवः। हरिवर्ष विवेशाथ सैन्येन महता वृतः’[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व 28-5 तथा दाक्षिणात्य पाठ

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