हिरण्यपुर

महाभारत वनपर्व[1] में दानवों के हिरण्यपुर नामक नगर का उल्लेख है। यहाँ कालकेय तथा पौलोम नामक दानवों का निवास माना गया है।

‘हिरण्यपुरमित्येव ख्यायते नगरं महत्,
रक्षितं कालकेयैश्च पौलोमैश्च महासुरैः’।[2]

  • वनपर्व[3] में ही आगे कहा गया है कि सूर्य के समान प्रकाशित होने वाला दैत्यों का आकाशचारी नगर उनकी इच्छा के अनुसार चलने वाला था और दैत्य लोग वरदान के प्रभाव से उसे सुखपूर्वक आकाश में धारण करते थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व 173
  2. वनपर्व 173, 13
  3. वनपर्व173, 26-27

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