हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां

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हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
मीरांबाई की रचनाएँ
  • हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां

हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां

हरि तुम हरो जन की भीर।

द्रौपदी की लाज राखी, तुम बढायो चीर॥

भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर।

हिरणकश्यपु मार दीन्हों, धरयो नाहिंन धीर॥

बूडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर।

दासि 'मीरा लाल गिरिधर, दु:ख जहाँ तहँ पीर॥


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