स्यमंतक

स्यमंतक का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। भागवत पुराण के अनुसार यह एक प्रसिद्ध मणि का नाम था, जो सत्राजित यादव ने सूर्य से पायी थी और जिसकी चोरी का कलंक श्रीकृष्ण को लगा था।

  • भागवत के अनुसार सत्राजित का भाई प्रसेनजित इस मणि को धारण कर शिकार खेलने गया था, जहाँ उसे एक सिंह ने मार के मणि ले ली थी। रास्ते में जांबवान ने सिंह से मणि ले ली, जहाँ से श्रीकृष्ण ले आये और सत्राजित को पुन: मणि मिल गयी थी।[1]
Seealso.jpg इन्हें भी देखें: जांबवती

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 543 |

  1. भागवत पुराण 10.56.10-32

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