सूर विनय पत्रिका
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग कल्याण
भक्ति किये बिना दूसरे के बैल होगे। (अपने बैल को तो फिर भी खिलाया-पिलाया जाता है, परंतु भक्ति के बिना मगनी जानेवाले बैल बनोगे। दूसरे का बैल होने से मार अधिक पड़ेगी; काम अधिक करना होगा और भोजन कम ही मिलेगा) चार पैर होंगे; सिरपर सींग होंगे, मुख से गूँगे (मनुष्यभाषा बोलने में असमर्थ) होगे; तब (भगवान् का) गुण कैसे गा सकोगे? दिन के चारों प्रहर (पूरे दिन) वन में चरते हुए घूमोगे; फिर भी पेट पूरा नहीं भरेगा। घायल कंधे रहेंगे, (नाथ डालने के लिये) नाक फूटी (छेद की गयी) होगी। इस प्रकार पता नही कब तक भूसा खाना पड़ेगा। लादते समय और (हल में अथवा छकड़े में) जोते जाने पर डंडों की मार पड़ेगी, तब सिर कहाँ छिपाओगे? (मार से बच कैसे सकोगे?) सर्दी, गर्मी और वर्षा तथा और भी बहुत-सी विपत्तियाँ भोगनी पड़ेंगी, लादे हुए भार के नीचे दबकर मन जाओगे। (इस समय तो) भगवान तथा सत्पुरुषों का आदेश नहीं मानते, परंतु (अन्त में) अपने किये का फल पाओगे। सूरदास जी कहते हैं- भगवान् का भजन किये बना जीवन व्यर्थ खो दोगे। |
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पृष्ठ संख्या |