सत्संग

सत्संग अर्थात सत का संग, जहाँ ‘सत्’ का अर्थ है परम सत्य अर्थात ईश्वर, तथा संग का अर्थ है साधकों अथवा संतों का सान्निध्य। संक्षेप में, सत्संग से तात्पर्य है ईश्वर के अस्तित्त्व को अनुभव करने के लिए अनुकूल परिस्थिति। सत्संग का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्त्व है।

  • ईश्वर का नाम जपना आरंभ करने के उपरांत साधना का यह अगला चरण है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि हम नामजप करना छोड़ दें। इसे नामजप के साथ करना चाहिए। नियमित रूप से समविचारी व्यक्तियों के साथ रहने से सहायता ही होती है।
  • सत्संग में सहभागी होने के कई लाभ हैं। सत्संग में हम अध्यात्म शास्त्र के विषय में प्रश्‍न पूछ सकते हैं, जिससे हमारी शंकाआें का समाधान होता है।
  • साधना तथा उसके सिद्धांतों के विषय में कोई शंकाएं हों तो उनका निराकरण किए बिना हम मन लगाकर साधना नहीं कर पाएंगे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः