मीराँबाई की पदावली
सद्गुरु से विरह निवेदन
सत गुर म्हाँरी प्रीत निभाज्यो जी ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ - निभाज्यो = निभा दीजिएगा। थे = आप। छो = हो, हैं। गुणरा = गुणों के। ओगण = अवगुणों पर, दोषों की ओर। जाज्यो = जाइयेगा, ध्यान मत दीजिएगा। म्हाँरू = मेरे। लोक = लोग। धीजै = प्रतीति करते वा संतुष्ट होते हैं। ( देखो - ‘उज्ज्वल देखि न धीजिए, बग ज्यों माँड़े ध्यान। धौरे बैठि चपेटिसी यों लै बूड़ै ज्ञान’ - कबीर )। पतीचै = मानता वा विश्वास करता है। मुखडारा = अपने श्री मुख से। लँगाज्यो = लगा दीजिएगा।
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