सगोत्र का उल्लेख ब्रह्म वैवर्त पुराण में हुआ है। हिन्दू परिवार में प्रपितामह से ऊपर के जो कुटुम्बीजन होते है, उन्हें 'सगोत्र' कहा जाता है।[1]
सगोत्र का उल्लेख ब्रह्म वैवर्त पुराण में हुआ है। हिन्दू परिवार में प्रपितामह से ऊपर के जो कुटुम्बीजन होते है, उन्हें 'सगोत्र' कहा जाता है।[1]