सखी री, कौन तिहारे जात -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग रामकली
पुर वघू-प्रश्‍न


 
सखी री, कौन तिहारे जात।
राजिवनैन धनुष कर लीन्‍हे, बदन मनोहर गात?
लज्जित होहिं पुरवधू पूछ, अंग-अंग मुसकात।
अति मृदु चरन पंथ-बन बिहरत, सुनियत अद्भुत बात।
सुंदर तन, सुकुमार दोउ जन, सूर-किरिन कुह्मिलात।
देखि मनोहर तीनौं मू‍रति, त्रिविध-ताप-तन जात॥43॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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