मीराँबाई की पदावली
विरहोद्गार राग आनंद भैरों
सखी मेरी नींद नसानी हो । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अंगछीन
- ↑ नसानी = नष्ट हो गई। विहानी = व्यतीत हो गई। मानी = पसन्द आई। देख्याँ = देखे। ठानी = निश्चय कर लिया है। अंगि अंगि = प्रत्येक अंग में। वेदन = व्यथा। पीड़ = कष्ट। अंतर = भीतर। बिसरानी = भूल गई। सुध बुध = होश।
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