सखी तैने नैना गमाय दिया रोय।(टेक)
बालापन की चटक चुँदरिया, दिन दिन मैली होय।।1।।
बालपने लड़किन सँग खेली, रंग रूप दियो खोय।।2।।
वाही सोच मीराँ भई दिवानी, दरद न जानै कोय।।3।।
लेनहार लेने कूँ आये, ले चल, ले चल, होय।।4।।
मीराँ कहै प्रभु गिरधरनागर, वैद साँवरिया होय।।5।।[1]