सखा कहत हैं स्याम खिसाने -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी



सखा कहत हैं स्याम खिसाने।
आपुहिं आपु बलकि भए ठाढ़े अब तुम कहा रिसाने।
बीचहिं बोलि उठे हलधर तब याके माइ न बाप।
हारि-जीत कछु नैंकु न समुझत, लरिकनि लावत पाप।
आपुन हारि सखनि सौं झगरत यह कहि दियौ पठाइ।
सूर स्याम उठि चले रोइ कै जननी पूछत धाइ।।214।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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