"विरह पदावली" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 336 (पिछले 200) (अगले 200)अ अति रस लंपट मेरे नैन -सूरदास अनल तैं बिरह-अगिनि अति ताती -सूरदास अनाथन की सुधि लीजै -सूरदास अब निज नैन अनाथ -सूरदास अब बरषा कौ आगम -सूरदास अब ब्रज नाहिंन -सूरदास अब मेरी को -सूरदास अब मेरे नैनन हीं झरि लाई -सूरदास अब मोहि निसि देखत -सूरदास अब यह बरषौ बीति -सूरदास अब या तनहि राखि -सूरदास अब वह सुरति होत कित राजनि -सूरदास अब वे बातै ई ह्याँ रही -सूरदास अब वै बातैं उलटि गईं -सूरदास अब वै मधुपुरी हैं माधौ -सूरदास अब सखि नींदौ तौ जु गई -सूरदास अब हम निपटहिं भईं अनाथ -सूरदास अब हरि कौन सौं -सूरदास अब हरि निपटहिं -सूरदास अब हौं कहा करौं री माई -सूरदास अबकी बेर बहुरि फिरि आवहु -सूरदास अबहीं सखी देखि आई है -सूरदासआ आइ अक्रूर चले लै स्यामहि -सूरदास आई उघरि कनक-कलई सी -सूरदास आगें परत न पाय -सूरदास आज बन बोलन लागे मोर -सूरदास आज बन मोरन गायौ आइ -सूरदास आज रैनि नहिं नींद परी -सूरदास आजु घन स्याम की -सूरदास आयौ नहिं माई -सूरदासइ इतनी दूरि गोपालहि माई -सूरदास इतने जतन काहे कौं किए -सूरदास इन लोभी नैननि के काजैं -सूरदास इन्हैं कहा मधुपुरी पठाऊँ -सूरदास इहिं बन मोर नहीं ये -सूरदास इहिं बिरियाँ बन तैं ब्रज आवत -सूरदासउ उघरि आयौ परदेसी -सूरदास उती दूर तैं को -सूरदास उन्ह कौं ब्रज बसिबौ -सूरदास उन्ह ब्रजदेव नैकु -सूरदास उलटि पग कैसैं दीन्हौ नंद -सूरदासए एक द्यौस कुंजन -सूरदासऐ ऐसी जो पावस रितु प्रथम (व्याख्या) -सूरदास ऐसी जो पावस रितु प्रथम -सूरदास ऐसे बादर ता दिन -सूरदास ऐसे समय जो हरि -सूरदास ऐसौ कोउ नाहिंनै सजनी -सूरदास ऐसौ सुनियत -सूरदास ऐसौ सुनियत है द्वै -सूरदासक कब देखौं इहिं भाँति कन्हाई -सूरदास कमल नैन अपनै गुन -सूरदास कर कपोल -सूरदास करिहौ मोहन -सूरदास कह परदेसी कौ -सूरदास कह परदेसी कौ पतियारौ -सूरदास कहँ वह प्रीति -सूरदास कहँ वह सुख -सूरदास कहा अक्रूर ठगौरी लाई -सूरदास कहा इन्ह नैननि कौ अपराध -सूरदास कहा कहौं या ब्रज बसि हरि बिनु -सूरदास कहा दिन ऐसैं ही चलि जैहैं -सूरदास कहा हौं ऐसैं ही मरि जैहौं -सूरदास कहाँ रह्यौ मेरौ मन-मोहन -सूरदास कहाँ लौं मानौं अपनी चूक -सूरदास कहौ कंत कहँ तज्यौ स्याम कौं -सूरदास कहौ री जो कहिबे -सूरदास काहे कौं पिय पियहि रटति हौ -सूरदास क आगे. काहें पीठि दई हरि मोसौं -सूरदास किते दिन हरि दरसन -सूरदास किधौं घन गरजत नहिं उन -सूरदास किहिं अवलंबन रहिहैं प्रान -सूरदास कैसै टेब मिटति मन मोहन आँगन -सूरदास कैसै रहै दरस बिनु देखे -सूरदास कैसैं कै भरिहैं री -सूरदास कैसैं जिऐ बदन बिनु देखें -सूरदास कैसैं प्रान रहे सुत-बिछुरत -सूरदास कैसैं मिलौं स्यामसुंदर कौं -सूरदास कोउ माई बरजै -सूरदास कोउ माई बरजै री -सूरदास कोकिल हरि कौ बोल -सूरदासग गगन सघन गरजत भयौ -सूरदास गुपालराइ हौं न चरन तजि जैहौं -सूरदास गोप सखा हरि बोधि पठाए -सूरदास गोपालहि पावौं धौं किहिं देस -सूरदास गोपालहि राखहु मधुबन जात -सूरदास गोबिंद अजहूँ नहिं आए -सूरदास गोबिंद बिनु कौन हरै -सूरदासघ घटा मधुबन पर बरषै -सूरदास घन गरजत बरज्यौ -सूरदास घन गरजत माधौ -सूरदासच चलत जानि चितवतिं ब्रज जुवतीं -सूरदास चलत न फेंट गही मोहन की -सूरदास चलत न माधौ की गही बाहैं -सूरदास चलतहुँ फेरि न चितए लाल -सूरदास चातक न होइ -सूरदास चूक परी हरि की सेवकाईं -सूरदासछ छूटि गई ससि -सूरदासज जनि कोउ काहू कें बस होहि -सूरदास जब तैं बिछुरे कुंज बिहारी -सूरदास जब हरि रथ चढ़ि चले मधुपुरी -सूरदास जसुमति अतिहीं भई बिहाल -सूरदास जसोदा बार-बार यौ भाषै -सूरदास जसोदानंदन सुख संदेह दियौ -सूरदास जहँ वै स्याम मदन मूरति -सूरदास जा दिन तै हरि चले मधुपुरी -सूरदास जाहि लगै सोई पै जानै -सूरदास जियहिं क्यौ कमलिनि -सूरदास जिहिं बिधि मिलनि मिलैं वै माधौ -सूरदास जो पै नंद सुवन -सूरदास जौ जागौं तौ कोऊ नाहीं -सूरदास जौ तू नैंकेहूँ उड़ि -सूरदास जौ पै कोउ माधौ -सूरदास जौ पै राखति हौ पहिचानि -सूरदास जौ पै लै जाइ कोउ -सूरदास जौ पै हिलग हिए मैं है री -सूरदासत तउ गुपाल गोकुल -सूरदास तन सिंगार कछू देखति नहिं -सूरदास तब काहे कौं भए -सूरदास तब तक डोरि लगाइ -सूरदास तब तू मोरिबोई करति -सूरदास तब तैं नैन अनाथ भए -सूरदास तब तैं बहुरि न कोऊ -सूरदास तब तैं मिटे सब आनंद -सूरदास तब सत कलप पलक सम जाते -सूरदास तातैं अति मरियत -सूरदास तातैं मन इतनौ दुख पावत -सूरदास तिनकौ कठिन करेजौ सखि री -सूरदास तिरिया रैन घटें सचु पावै -सूरदास तुम बिनु नंद सुवन इहिं गोकुल -सूरदास तुम्ह बिन इहाँ कुँवर बर मेरे -सूरदास तुम्हरी प्रीति -सूरदास तुम्हरे देस कागद -सूरदास तुम्हारौ गोकुल (व्याख्या) -सूरदास तुम्हारौ गोकुल -सूरदास त आगे. ते गुन बिसरत नाहीं उर तैं -सूरदासद दधि सुत जात हौ -सूरदास दुसह बियोग स्याम सुंदर -सूरदास दूरि करहि बीना कर -सूरदास दूरिहिं तैं सिंघासन बैठे -सूरदास देखि देखि मधुबन की बाटहि -सूरदास देखि सखी उत है वह गाँउ -सूरदास देखियत चहुँ दिसि -सूरदास देखियति कालिंदी अतिकारी -सूरदास देखौ माई स्याम सुरति -सूरदास देवकि माइ पाँइ लागति हौ -सूरदास दोउ ढोटा गोकुल नाइक मेरे -सूरदासन नंद कहौ हो कहँ छाँड़े हरि -सूरदास नंद नंदन के चलत सखी हौं -सूरदास नंद ब्रज लीजै ठोक बजाइ -सूरदास नंद ब्रजहिं आए -सूरदास नंद हरि तुम्ह सौं कहा कह्यौ -सूरदास नंदहि आवत देखि जसोदा -सूरदास नंदहि कहत हरि ब्रज जाहु -सूरदास नहिं कोहु स्यामहिं राखै जाइ -सूरदास नाहिंनैं अब ब्रज -सूरदास नाहिन मोर चंद्रिका माथें -सूरदास निकसे बचन सुनाइ सखी री -सूरदास नैनन नाध्यौ है झर -सूरदास नैनन नींद परत नहिं सजनी -सूरदास नैना भए अनाथ -सूरदास नैना सावन भादौं जीते -सूरदासप पथिक कह्यौ ब्रज -सूरदास पिय बिनु नागिन कारी रात -सूरदास पिय-समीप-सुख की सुधि आवै -सूरदास प्रीतम बिनु ब्याकुल अति रहियत -सूरदास प्रीति करि दीन्ही गरें छुरी -सूरदास प्रीति तौ मरिबौई न बिचारै -सूरदास प्रीति पतंग करी पावक सौं -सूरदास प्रीति बटाऊ सौं कत करिऐ -सूरदासफ फिरि ब्रज आइऐ गोपाल -सूरदास फिरि ब्रज बसहु गोकुलनाथ -सूरदास फूटि न गईं तुम्हारी चारौ -सूरदासब बचनन हौं अकुलाइ लई री -सूरदास बदरिया बधन बिरहिनी -सूरदास बरष होत न एक पल सम -सूरदास बरषा रितु -सूरदास बरु ए बदरौ बरषन -सूरदास बल मोहन बैठे रथ -सूरदास बहु दिन ऐसौइ हौ री -सूरदास बहुत दिन जीवौ -सूरदास बहुत दुख पैयत हैं इहिं बात -सूरदास बहुरि कब आवैंगे -सूरदास बहुरि न कबहूँ -सूरदास बहुरि पपीहा बोल्यौ -सूरदास बहुरि बन बोलन -सूरदास बहुरि हरि आवहिंगे किहि -सूरदास बहुरौ गोपाल मिलैं -सूरदास बहुरौ देखिबौ इहिं भाँति -सूरदास बहुरौ हो ब्रज बात -सूरदास बार बार मग जोवति माता -सूरदास बारंबार निरखि सुख मानति -सूरदास बारक जाइयौ मिलि माधौ -सूरदास बिछुरत उमँगि नीर भरि आए -सूरदास बिछुरत श्रीब्रजराज आजु -सूरदास बिछुरन जनि काहू सौं होइ -सूरदास बिछुरे री मेरे -सूरदास बिछुरें स्याम बहुत -सूरदास बिधु बैरी सिर पै बसै -सूरदास बिनु परबै उपराग आजु हरि -सूरदास बिनु माधौ राधा तन -सूरदास (पिछले 200) (अगले 200)