श्रुतकर्मा हिन्दू महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र का पुत्र था।
- महाभारत युद्ध का आँखों देखा हाल बताते हुए संजय धृतराष्ट्र से कहते हैं- "महाराज! आपके पुत्र श्रुतकर्मा ने बिना किसी घबराहट के आधे निमेष में ही शतानीक के रथ को घोड़ों और सारथि से शून्य कर दिया। मान्यवर! महारथी शतानीक ने कुपित होकर अपने अश्वहीन रथ पर खड़े रहकर ही आपके पुत्र के ऊपर गदा का प्रहार किया। भारत! वह गदा तुरंत ही श्रुतकर्मा के रथ, घोड़ों और सारथि को भस्म करके पृथ्वी को विदीर्ण करती हुई सी गिर पड़ी। कुरु कुल की कीर्ति बढ़ाने वाले वे दोनों वीर रथहीन होकर एक-दूसरे को देखते हुए युद्ध स्थल से हट गये। आपका पुत्र श्रुतकर्मा घबरा गया। वह विवित्सु के रथ पर जा चढ़ा और शतनीक भी तुरंत ही प्रतिविन्ध्य के रथ पर चला गया।"[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत कर्ण पर्व अध्याय 25 श्लोक 1-19
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