श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीकृष्ण का परम स्वरूप और उनका प्रेमआपका पत्र मिला। आपका लिखना ठीक है। श्रीकृष्ण-प्रेमी भक्त वैष्णव सचमुच ऐसा ही मानते हैं कि तत्त्वरूप निराकार ब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण की अगंकान्ति हैं, परमात्मा उनके अंश हैं और षडैश्वर्य (समग्र ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य) के पूर्ण आधार स्वरूप भगवान श्रीनारायण श्रीकृष्ण के विलास-विग्रह हैं। श्रीकृष्ण और उनकी स्वरूप भूता श्रीराधा सर्वथा अभिन्न्न हैं। सर्वथा द्वैतरहित एक ही परम भगवत्तत्त्व लीला-रसास्वादन के लिये दो रूपों में प्रकट है। इन्हीं दो रूपों को ‘विषय’ और ‘आश्रय’ कहा गया है। |
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