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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
22. माखन चोरी के व्याज से श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण व्रज में रस-सरिता बहाना
परस्पर जुड़े हुए तारों में किसी एक पर स्वरलहरी उदय होते ही अन्य तार भी झंकृत हो उठते हैं। इसी प्रकार वात्सल्य-प्रेमवती गोपसुन्दरियों के हृदयतन्तु पर श्रीकृष्णचन्द्र की दो नवनीतहरण-लीलाएँ झंकृत हो उठीं-
परिणाम यह हुआ कि प्रत्येक गोपसुन्दरी मनोरथ का राग अलापने लगी-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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