विषय सूची
श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
सप्तदश शतकम्
श्रीमद्वृन्दावनेश्वरी (श्रीराधाजी) का एक बार ही श्रीराधा-नाम लेने से समस्त मंगल प्राप्त होते हैं, एवं समस्त अनन्त शक्तियों का विकास होता है। वह श्रीराधा-नाम सदा मेरी जिह्वा पर जय युक्त होकर विराजमान् रहे।।126।।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज