वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकि रामायण लिखते हुए

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा के आदि कवि और हिन्दुओं के आदि काव्य 'रामायण' के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। महर्षि कश्यप और अदिति के नवम पुत्र वरुण (आदित्य) से इनका जन्म हुआ। इनकी माता चर्षणी और भाई भृगु थे। वरुण का एक नाम प्रचेत भी है, इसलिये इन्हें प्राचेतस नाम से उल्लेखित किया जाता है, उपनिषद के विवरण के अनुसार ये भी अपने भाई भृगु की भाँति परम ज्ञानी थे।

तमसा नदी के तट पर व्याध द्वारा कोंच पक्षी के जोड़े में से एक को मार डालने पर वाल्मीकि के मुंह से व्याध के लिए शाप के जो उद्गार निकले वे लौकिक छंद में एक श्लोक के रूप में थे। इसी छंद में उन्होंने नारद से सुनी राम की कथा के आधार पर रामायण की रचना की। कुछ लोगों का अनुमान है कि हो सकता है, महाभारत की भाँति रामायण भी समय-समय पर कई व्यक्तियों ने लिखी हो और अतिम रूप किसी एक ने दिया हो और वह वाल्मीकि की शिष्य परंपरा का ही हो।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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