राम | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- राम (बहुविकल्पी) |
राम पर्वत का उल्लेख पौराणिक ग्रन्थ महाभारत, सभापर्व में हुआ है-
'कृत्सनं कोलगिरि चैव सुरभीपत्तनं तथा, द्वीपं ताभ्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तथा।'[1]
- इस स्थान को पाण्डव सहदेव ने दक्षिण की दिग्विजय यात्रा में विजित किया था।
- महाभारत के उपरोक्त प्रसंग से यह स्थान रामेश्वरम की पहाड़ी जान पड़ता है।[2]
- इसका अभिज्ञान श्रीलंका में स्थित बौद्ध तीर्थ 'सुमनकूट' या 'आदम की चोटी' से भी किया जा सकता है।
- प्राचीन किंवदंती के अनुसार इस पहाड़ी पर जो चरणचिह्न बने हैं, वे भगवान राम के हैं। वे समुद्र पार करने के पश्चात लंका में इसी पहाड़ी के पास पहुचे थे और उनके पावन चरण चिह्न इस पहाड़ी की भूमि पर अंकित हो गये थे। बाद में बौद्धों ने इन्हें महात्मा बुद्ध के और ईसाईयों ने आदम के चरणचिह्न मान लिया।
- अन्य उल्लेखानुसार यह मध्य प्रांत में नागपुर से 24 मील की दूरी पर उत्तर में स्थित 'रामतेज' या 'रामटेक' पर्वत है।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत, सभापर्व 31, 68
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 790 |
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारतकोश डिस्कवरी पुस्तकालय |संपादन: संजीव प्रसाद 'परमहंस' |पृष्ठ संख्या: 91 |