युगन्धर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- युगन्धर (बहुविकल्पी) |
युगन्धर नामक एक राजा का उल्लेख महाभारत में मिलता है। महाभारत युद्ध में यह पांडवों की ओर से लड़ा था।[1]
- 'महाभारत द्रोण पर्व' में राजा युगन्धर और गुरु द्रोणाचार्य के युद्ध का वर्णन है। रणभूमि कुरुक्षेत्र में चल रहे युद्ध का आँखों देखा हाल सुनाते हुए संजय धृतराष्ट्र से कहते हैं कि- "द्रोणाचार्य पांडव सेना के बीच में घुसकर सम्पूर्ण दिशाओं में विचरने लगे। उन्होंने शिखण्डी को बारह, उत्तमौजा को बीस, नकुल को पाँच और सहदेव को सात बाणों से घायल करके युधिष्ठिर को बारह, द्रौपदी के पाँच पुत्रों को तीन-तीन, सात्यकि को पाँच और विराट को दस बाणों से बींध डाला।" राजन! उन्होंने रणक्षेत्र में मुख्य-मुख्य योद्धाओं पर धावा करके उन सबको क्षोभ में डाल दिया और कुन्तीपुत्र युधिष्ठिर को पकड़ने के लिये उन पर वेग से आक्रमण किया। राजन! उस समय वायु के थपेड़ों से विक्षुब्ध हुए महासागर के समान क्रोध में भरे हुए महारथी द्रोणाचार्य को राजा युगन्धर ने रोक दिया। तब झुकी हुई गाँठ वाले बाणों द्वारा युधिष्ठिर को घायल करके द्रोणाचार्य ने एक भल्ल नामक बाण द्वारा मारकर युगन्धर को रथ की बैठक से नीचे गिरा दिया। यह देख विराट, द्रुपद, केकय, सात्यकि, शिबि, पांचाल देशीय व्याघ्रदत्त तथा पराक्रमी सिंहसेन- ये तथा और भी बहुत-से नरेश राजा युधिष्ठिर की रक्षा करने के लिये बहुत से सायकों की वर्षा करते हुए द्रोणाचार्य की राह रोककर खड़े हो गये।"