माल्यवान (पर्वत)

Disamb2.jpg माल्यवान एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- माल्यवान (बहुविकल्पी)

माल्यवान पुराणानुसार मेरु के पूर्व का एक पर्वत सिद्धांतशिरोमणि के अनुसार नील-पर्वत से दक्षिण निषध पर्वत के उत्तर तथा इलावृत से पश्चिम तक इसका विस्तार 1000 योजन कहा गया है।

  • यह केतुमाल का सीमा पर्वत है। चक्षु नदी इसी से निकली है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 421 |

  1. भाग० 5.16.10; 17.7; मत्स्य० 113.35; वायु०34.33.4; 42.19.42; विष्णु०2.2.27; 39

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