माल्यवान | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- माल्यवान (बहुविकल्पी) |
माल्यवान पुराणानुसार मेरु के पूर्व का एक पर्वत सिद्धांतशिरोमणि के अनुसार नील-पर्वत से दक्षिण निषध पर्वत के उत्तर तथा इलावृत से पश्चिम तक इसका विस्तार 1000 योजन कहा गया है।
- यह केतुमाल का सीमा पर्वत है। चक्षु नदी इसी से निकली है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 421 |