अशीतितम (80) अध्याय: शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: अशीतितम अध्याय: श्लोक 1-12 का हिन्दी अनुवाद
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सहार्थ मित्र उनको कहते है, जो किसी शर्त पर एक दूसरे की सहायता के लिये मित्रता करते हैं। अमुक शत्रु पर हम दोनों मिलकर चढाई करें, विजय होने पर दोनों उसके राज्य को आधा आधा बाँट लेंगे- इत्यादि शर्तें सहार्थ मित्रों में होती है। जिनके साथ परम्परागत वंशसम्बन्ध से मित्रता हो, वे भजमान कहलाते है। जन्म से ही साथ रहने से अथवा घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण जिनमें परस्पर स्वाभाविक मैत्री हो जाती है वे सहज मित्र कहे गये है; और धन आदि देकर अपनाये हुए लोग कृत्रिम मित्र कहलाते है।
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