महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
कौरवों का आक्रमण
राजा विराट की खुशी अधिक दिनों तक टिक न सकी। योजना के अनुसार कौरव सेना ने भी मत्स्य देश पर आक्रमण कर दिया। वे लोग विराट की 60000 गायें लूट कर ले गये। विराट नगर में कौरवों के आक्रमण से एकाएक बड़ी हलचल मच गयी। त्रिगर्त राजा तो मामूली राजा न था, मगर कौरवों के पराक्रम से सभी घबराते थे। फिर जब यह सुना गया कि कौरवों की सेना के साथ भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महारथी आए हैं तो स्वयं राजा विराट के मन में भी बड़ी खलबली मच गयी। युधिष्ठिर बोले- "महाराज! भयभीत न हों। आपके राजकुमार उत्तर ने सुशर्मा के साथ युद्ध करते समय बड़ा हौसला दिखलाया था, इस बार उन्हें अपनी सेना का नायक बनाकर भेजें।" राजकुमार उत्तर अपनी प्रशंसा सुनकर फूल गये। उसने शेखी में आकर अपने पिता से कहा- "हां, पिता जी! मुझे रणक्षेत्र में जाने की आज्ञा दीजिए। मैं कौरवों का संहार कर डालूंगा।" राजा विराट ने आज्ञा दे दी। राजकुमार ने महलों में जाकर अपनी शेखी बघारना आरंभ कर दिया। राजकुमारी के नृत्य गुरु बृहन्नला ने भी यह बातें सुनीं। उत्तर के मुख से जब उन्होंने यह सुना कि कंक अर्थात युधिष्ठिर ने ही राजा को यह सलाह दी थी तो वे सारी बात का मतलब तुरंत समझ गये थे। द्रौपदी के पास गये और उससे कहा- "वह राजकुमार से बृहन्नला को अपना सारथी बनाकर ले जाने की सिफारिश करे।" द्रौपदी ने राजकुमार उत्तर से जाकर बृहन्नला को अपना सारथी बनाने की प्रार्थना की। उत्तर बोला- "अरे सैरन्ध्री! यह नचनिया भला मेरी क्या सहायता करेगा।" सैरन्ध्री अर्थात द्रौपदी बोली- "राजकुमार! इस बृहन्नला ने महाबली अर्जुन के साथ काम किया है। खाण्डव वन पर आक्रमण करते समय अर्जुन ने इस बृहन्नला को अपना सारथी बनाया था। आप इसको कोरा नचनिया न समझिये अपनी बहन राजकुमारी से कहिए कि किसी तरह से वह बृहन्नला को आपका सारथी बनाने के लिए राजी करा लें।" उत्तर के कहने से बहिन अपने नृत्य गुरु को बुला लाई। पहले तो अर्जुन अपनी जबानी लटक झटक ही दिखलाते रहे, पर जब बहिन ने यह कहा कि मुझे मालूम है कि आपने ही अर्जुन को खाण्डव वन में विजय दिलाई थी, तो वे गम्भीर हो गए। उन्होंने राजकुमार उत्तर का सारथी बनना स्वीकार कर लिया। दूसरे दिन जब राजकुमार युद्ध क्षेत्र में जाने लगे तो बहन ने तिलक करके उनसे कहा- "भैया शत्रुओं के रंगारंग कपड़े मेरे लिए अवश्य लाइयेगा, मैं भीष्म, द्रोण, कर्ण, और दुर्योधन जैसे महारथियों के कपड़ों से अपनी गुड़िया बनाऊंगी।" |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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