महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
वेद की कथा
वेदों का आरम्भ सम्राट भरत ने ही नहीं बल्कि उनके पुरखे स्वयंभु मनु के समय से भी पहले आरम्भ हो चुका था। स्वयंभु मनु के पुरखे जब उत्तरी ध्रुव में रहते थे, तभी वेद की ऋचायें रची जाने लगीं थीं। हमारी पृथ्वी में उत्तरी ध्रुव ही ऐसा भू-भाग है जहाँ लम्बे-लम्बे दिन और रातें होती हैं। दिन और रात की लम्बाइयां केवल कुछ घंटो तक ही सीमित नहीं रहतीं बल्कि महीनों तक चलती हैं। ऐसी दिन रात वाली प्रकृति शोभा के गीत हमारे वेद में गाये गये हैं। इस तरह महाराज भरत के समय तक वेद की काफी ऋचाएं बन गयी थीं और उन्हें श्रद्धा से पढ़ने वालों का समाज भारत से बाहर उत्तरी ध्रुव तक फैला हुआ था। ऋग्वेद की ऋचाएं रचने वालों में भरतवंशी परमेष्ठी भी थे जिन्होंने नासिधीय सूत्र रचा। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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