महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 109 श्लोक 16-21

नवाधिकशततम (109) अध्‍याय: उद्योग पर्व (भगवादयान पर्व)

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महाभारत: उद्योग पर्व: नवाधिकशततम अध्याय: श्लोक 16-21 का हिन्दी अनुवाद
  • गालव! पूर्वकाल की बात है, मैं भूख से पीड़ित होकर भारी चिंता में पड़ गया था, परंतु इसी दिशा में आने पर दो विशाल प्राणी‌- हाथी और कछुआ मेरे हाथ लग गये, जो आपस में लड़ रहे थे। (16)
  • सूर्य के समान तेजस्वी महर्षि कर्दम से उत्पन्न हुए 'चक्र-धनु' नामक महर्षि इसी दिशा में रहते थे, जिन्हें सब लोग 'कपिलदेव' के नाम से जानते हैं।

उन्होंने ही सगर के पुत्रों को भस्म कर दिया था। (17)

  • इसी दिशा में 'शिव' नाम से प्रसिद्ध कुछ सिद्ध ब्राह्मण रहते थे, जो वेदों के पारंगत पंडित थे। उन्होंने सम्पूर्ण वेदों का अध्ययन करके[1] अक्षय मोक्ष प्राप्त कर लिया। (18)
  • दक्षिण में ही वासुकि द्वारा पालित तथा तक्षक एवं एरावत नाग द्वारा सुरक्षित भोगवती नामक पुरी है। (19)
  • मृत्यु के पश्चात इस दिशा में जाने वाले प्राणी को ऐसे घोर अंधकार का सामना करना पड़ता है, जो साक्षात अग्नि एवं सूर्य के लिए भी अभेद्य है। (20)
  • गालव! तुम मेरे द्वारा परिचर्या पाने [2] के योग्य हो, अत: तुम्हें यह दक्षिण मार्ग बताया है, यदि इस दिशा में चलना हो तो मुझसे कहो अथवा अब तीसरी पश्चिम दिशा का वर्णन सुनो। (21)

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अंतर्गत भगवदयानपर्व में गालव चरित्र विषयक एक सौ नौवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तत्त्वज्ञान द्वारा
  2. सेवा ग्रहण करने

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