पंचचत्वारिंशदधिकशततम (145) अध्याय: आदि पर्व (जतुगृहपर्व)
महाभारत: आदि पर्व: पंचचत्वारिंशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 20-31 का हिन्दी अनुवाद
यदि हम जलने के भय से डरकर भाग चलें तो भी राज्य लोभी दुर्योधन हम सब को अपने गुप्तचरों द्वारा मरवा सकता है। इस समय वह अधिकारपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित है और हम उससे वंचित हैं। वह सहायकों के साथ है और हम असहाय हैं। उसके पास बहुत बड़ा खजाना है और हमारे पास उसका सर्वथा अभाव है। अत: निश्चय ही वह अनेक प्रकार के उपायों द्वारा हमारी हत्या करा सकता है। इसलिये इस पापात्मा पुरोचन तथा पापी दुर्योधन को भी धोखे में रखते हुए हमें यहीं कहीं किसी गुप्त स्थान में निवास करना चाहिये। हम सब मृगया में रत रहकर यहाँ की भूमि पर सब ओर विचरें, इससे भाग निकलने के लिये हमें बहुत से मार्ग ज्ञात हो जायेंगे। इसके सिवा आज से ही हम जमीन में एक सुरंग तैयार करें, जो ऊपर से अच्छी तरह ढकी हो। वहाँ हमारी सांस तक छिपी रहेगी (फिर हमारे कार्यों की को बात ही क्या है)। उस सुरंग में घुस जाने पर आग हमें नहीं जला सकेगी। हमें आलस्य छोड़कर इस प्रकार कार्य करना चाहिये, जिससे यहाँ रहते हुए भी हमारे सम्बन्ध में पुरोचन को कुछ भी ज्ञात न हो सके और किसी पुरवासी को भी हमारी कानों-कान खबर न हो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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