चतुर्दश (14) अध्याय: अनुशासन पर्व (दानधर्म पर्व)
महाभारत: अनुशासन पर्व: चतुर्दश अध्याय: श्लोक 137-155 का हिन्दी अनुवाद
वे महादेव जी यक्ष, राक्षस, सर्प, दैत्य, दानव और पातालवासियों का भी रूप धारण करते हैं। वे व्याघ्र, सिंह, मृग, तरक्षु, रीछ, पक्षी, उल्लू, कुत्ते और सियारों के भी रूप धारण कर लेते हैं। हंस, काक, मोर, गिरगिट, सारस, बगले, गीध और चक्रांग (हंसविशेष) के भी रूप वे महादेव जी धारण करते हैं। पर्वत, गाय, हाथी, घोड़े, ऊँट और गदहे के आकार में भी वे प्रकट हो जाते हैं। वे बकरे और शार्दूल के रूप में उपलब्ध होते हैं। नाना प्रकार के मृगों, वन्य पशुओं के भी रूप धारण करते हैं तथा भगवान शिव दिव्य पक्षियों के भी रूप धारण कर लेते हैं। वे द्विजों के चिह्न दण्ड, छत्र और कुण्ड (कमण्डलु) धारण करते हैं। कभी छ: मुख और कभी बहुत-से मुख वाले हो जाते हैं। कभी तीन नेत्र धारण करते हैं। कभी बहुत-से मस्तक बना लेते हैं। उनके पैर और कटि भाग अनेक हैं। वे बहुसंख्यक पेट और मुख धारण करते हैं। उनके हाथ और पार्श्व भाग भी अनेकानेक हैं। अनेक पार्षदगण उन्हें सब ओर से घेरे रहते हैं। वे ऋषि और गन्धर्व रूप हैं। सिद्ध और चरणों के भी रूप धारण करते हैं। उनका सारा शरीर भस्म रमाये रहने से सफ़ेद जान पड़ता है। वे ललाट में अर्द्धचन्द्र का आभूषण धारण करते हैं। उनके पास अनेक प्रकार के शब्दों का घोष होता रहता है। वे अनेक प्रकार की स्तुतियों से सम्मानित होते हैं, समस्त प्राणियों का संहार करते हैं, स्वयं सर्वस्वरूप हैं तथा सबके अन्तरात्मारूप से सम्पूर्ण लोकों में प्रतिष्ठित हैं। वे सम्पूर्ण जगत के अन्तरात्मा, सर्वव्यापी और सर्ववादी हैं, उन भगवान शिव को सर्वत्र और सम्पूर्ण देहधारियों के हृदय में विराजमान जानना चाहिये। जो जिस मनोरथ को चाहता है और जिस उद्देश्य से उसके द्वारा भगवान की अर्चना की जाती है, देवेश्वर भगवान शिव वह सब जानते हैं। इसलिये यदि तुम कोई वस्तु चाहते हो तो उन्हीं की शरण लो। वे कभी आनन्दित रहकर आनन्द देते, कभी कुपित होकर कोप प्रकट करते ओर कभी हुंकार करते हैं, अपने हाथों में चक्र, शूल, गदा, मूसल, खड्ग और पट्टीश धारण करते हैं। वे धरणीधर शेषनाग रूप हैं, वे नाग की मेखला धारण करते हैं। नागमय कुण्डल से कुण्डलधारी होते हैं। नागों का ही यज्ञोपवीत धारण करते हैं तथा नागचर्म का ही उत्तरीय (चादर) लिये रहते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज