मंकणक मुनि वायु के औरस पुत्र थे। मंकणक मुनि का जन्म सुकन्या के गर्भ से हुआ था। वे चिरकाल से ब्रह्मचर्य पालन करते हुए सरस्वती नदी में स्नान किया करते थे। एक बार मंकणक मुनि ने स्नान करती हुई एक अनिंद्य सुंदरी को देखा जो कि नग्न थी। उसे देखकर उनका वीर्यपात हो गया। उन्होंने वीर्य को एक कलश में ले लिया।
- मंकणक मुनि ने वीर्य को सात भागों में विभक्त कर दिया। अत: उस वीर्य कलश से सात ऋषि उत्पन्न हुए, जो मूलभूत 49 मरुदगणों के जन्मदाता थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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