5.धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः॥
धृष्टकेतु, चेकितान और वीर काशिराज, इनके साथ ही पुरुजित्, कुन्तिभोज और मनुष्यों में श्रेष्ठ शैब्य हैं।[1]
6.युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्य वीर्यवान् ।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः॥
पराक्रमी युधामन्यु और वीर उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र द्रौपदी के पुत्र, ये सबके सब महारथी हैं। सौभद्र अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु का नाम है।
7.अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायक मम सैन्स्य संज्ञार्थ तान्ब्रवीमि ते ॥
हे ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, अब हमारी सेना में जो प्रमुख नायक हैं, उनको भी जान लीजिए। आपकी सूचना के लिए मैं उनके नाम बताता हूँ।
द्विजात्तमः ब्राह्मणों में श्रेष्ठ। द्विज वह है, जिसने यज्ञोपवीत धारण किया हो। द्विज का शब्दार्थ है-जिसका दो बार जन्म हुआ है। शिक्षा का लक्ष्य है व्यक्ति को आत्मिक जीवन में दीक्षित कर देना। हम प्रकृति के जगत् में जन्म लेते हैं। हमारा दूसरा जन्म आत्मा के जगत् में होता है। तद् द्वितीय जनम, माता सावित्री, पिता तु आचार्यः। व्यक्ति प्रकृति के शिशु के रूप में उत्पन्न होता है और बढ़ता हुआ आत्मिक मनुष्यत्व तक पहुँचता है और आलोक का शिशु के रूप में उत्पन्न होता है और बढ़ता हुआ आत्मिक मनुष्यत्व तक पहुँचता है और आलोक का शिशु बन जाता है।
8.भवान्भीष्मष्च कर्णष्च कृपश्च समितिंजयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च॥
आप, भीष्म और कर्ण और युद्ध में विजयी होने वाला कृप, अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र ।[2]