भगवद्गीता -राजगोपालाचार्य पृ. 1

भगवद्गीता -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

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विषय-प्रवेश

गीता हिन्दू दर्शन और नीतिशास्त्र के सबसे प्रामाणिक ग्रन्थों में से एक है और सभी सम्प्रदायों के हिन्दुओं ने उसे इस रूप में स्वीकार किया है। हमारे युवक और युवतियाँ यदि उसके चुने हुए श्लोकों का भी अध्ययन कर लें और उनका यदि मनन करें तो वे अपने पूर्वजों के धर्म को समझ सकेंगे। हमने जिस उदात्त दर्शन, कला, साहित्य तथा सभ्यता को उत्तराधिकार में प्राप्त किया है, उस सबका विकास हमारे पूर्वजों के धर्म के आधार पर ही हुआ है।

अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं में गीता के अनेक उत्तम अनुवाद मौजूद हैं। विद्वानों के लिये श्री शंकराचार्य तथा अन्य धर्माचार्यों के भाष्य ज्ञान की खान हैं, जिनके सामने आधुनिक टीकाएं नितान्त क्षुद्र मालूम होती हैं। यह पुस्तक उन विद्यार्थियों के लिए लिखी गई हैं, जो समय और मानसिक तैयारी के अभाव में मूल गीता का अध्ययन उपर्युक्त महान भाष्यों के साथ नहीं कर सकते।

गीता महाभारत का एक प्रकरण है। इसका प्रारंभ उस वर्णन से होता है जबकि अर्जुन दोनों पक्षों के लोगों को एक-दूसरे के वध के लिये युद्ध-भूमि पर खडे़ देखकर उद्विग्न हो उठा था। इस प्रसंग के साथ कृष्णार्जुन संवाद के रूप में हिन्दू-धर्म की व्याख्या की संगति बैठाई गई है। कृष्ण सम्पूर्ण गीता में स्वयं परमात्मा के रूप में बात करते हैं।

उपर्युक्त अनुच्छेद में जो कहा गया है, उसके और पुरातन कवि की साहसपूर्ण तथा अनुपम कल्पना से उत्पन्न पीठ-भूमिका के सौन्दर्य तथा उपयुक्तता के होते हुए भी, विद्यार्थियों को ध्यान रखना चाहिए कि गीता हिन्दू धर्मग्रन्थ के रूप में महाभारत से पृथक है। यह उचित ही था कि पुराणप्रिय हिन्दुओं के भाष्य में इस प्रसंग का महत्व क्रमशः कम होता गया और अन्त में प्रायः विलीन हो गया। कुरुक्षेत्र के युद्ध को अक्षरशः स्वीकार करने और उसके आधार पर ही गीता का अर्थ लगाने से विद्यार्थी गीता को सही रूप में न समझ सकेंगे, उलटे उनके भ्रम में पड़ जाने की संभावना है। यह सच है कि गीता की शिक्षा समस्त विश्व पर लागू होती है, इसलिये वह महाभारत के प्रसंग के लिये भी उपर्युक्त है और उससे अर्जुन की समस्याओं तथा संशयों का हल हो जाना स्वाभाविक है; परन्तु यदि हम इस विशेष दृश्य के ही वशीभूत हो गये और विशेष को लेकर साधारण का अर्थ निकालने लगे तो उस शिक्षा को ठीक तरह से न समझ पायेंगे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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