ब्रह्मतीर्थ का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार ब्राह्मण को प्रत्येक शुद्धि कार्य में 'ब्रह्मतीर्थ' में आचमन करना चाहिये। थूकने और छींकने के बाद जल का स्पर्श[1] करने से वह शुद्ध होता है।[2]
- हरिवंश पुराण विष्णु पर्व में भी ब्रह्मतीर्थ का उल्लेख हुआ है, जहाँ इसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बताया गया है।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आचमन
- ↑ महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 104 श्लोक 98-114
- ↑ हरिवंश पुराण विष्णु पर्व अध्याय 109 श्लोक 19-62
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