बहुत दुख पैयत है इहिं बात।
तुम जु सुनत हौ माधौ, मधुवन सुफलक सुत सँग जात।।
मनसिज बिथा दहति दावानल, उपजी है या गात।
सूधौ कहौ तब कैसै जीहै, निजु चलिहौ उठि प्रात।।
जौ पै यहै कियौ चाहत है, मीचु बिरह-सर-घात।
'सूर' स्याम तौ तब कत राखी, गिरि कल लै दिन सात।।2966।।