बन तैं आवत धेनु चराए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गौरी



बन तैं आवत धेनु चराए।
संध्‍या समय साँवरे मुख पर, गो-पद-रज लपटाए।
बरह-मुकुट कै निकट लसति लट, मधुप मनो रुचि पाए।
बिलसत सुधा जलज-आनन पर उड़त न जात उड़ाए।
बिधि-बाहन-भच्‍छन की माला, राजत उर पहिराए।
एक बरन बपु नहिं बड़ छोटे ग्‍वाल बन इक धाए।
सूरदास बलि लीला प्रभु को, जीवन जन जस गाए।।417।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः