बड़े भाग्य इहिं मारग आए -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग मारू
बालि-वध


 
बड़े भाग्य इहिं मारग आए।
गदगद कंठ सोक सौं रोवत, वारि बिलोचन छाए।
महाधीर गंभीर बचन सुनि, जामवंत समुझाए।
बढ़ी परस्पर प्रीति रीति तब, भूषन-सिया दिखाए।
सप्‍त ताल सर साँधि, बालि हति, मन अभिलाष पुजाए।
सूरदास प्रभु-भुज के बलि-बलि, बिमल-बिमल जस गाए॥70॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः