फूले कमल कुमुद मुद्रित भए -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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जागौ मोहन भोर भयौ।
फूले कमल कुमुद मुद्रित भए तमचुर कौ सुर हारि गयौ।।
टेरत ग्वाल बाल सब ठाढे पूरब सौ पतंग उदयौ।
सुनत बचन जागे नँदनंदन ‘सूर’ जननि तब उछँग लयौ।। 42 ।।

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