फाग की मीर अमीरनि ज्यों -पद्माकर

Prev.png

फाग की मीर अमीरनि ज्यों -पद्माकर


फाग की मीर अमीरनि ज्यों, गहि गोविंद लै गई भीतर गोरी,
माय करी मन की पद्माकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी।
छीन पितंबर कम्मर ते, सुबिदा दई मीड कपोलन रोरी,
नैन नचाय मुस्काय कहें, लला फिर अइयो खेलन होरी।

Next.png

संबंधित लेख

-

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः