प्रबोधानन्द सरस्वती

प्रबोधानन्द सरस्वती सर्वशास्त्रों के पारंगत अप्राकृत कवि थे। वे गोपाल भट्ट गोस्वामी के गुरु एवं पितृव्य थे।

  • काम्यवन में प्रसिद्ध 'लुकलुकी कुण्ड' के पास बड़े ही निर्जन किन्तु सुरम्य स्थान में प्रबोधानन्द जी की भजन स्थली है।
  • 'राधारससुधानिधि', 'श्रीनवद्वीप शतक' तथा 'श्रीवृन्दावन शतक' आदि इन्हीं महापुरुष प्रबोधानन्द सरस्वती जी की कृतियाँ हैं।
  • श्रीकविकर्णपूर ने अपने प्रसिद्ध 'गौरगणोद्देशदीपिका' में प्रबोधानन्द सरस्वती को कृष्णलीला की अष्टसखियों में सर्वगुणसम्पन्ना तुंगविद्या सखी बतलाया है।
  • श्रीरंगम में महाप्रभु से कुछ कृष्ण कथा श्रवण कर प्रबोधानन्द जी 'श्री सम्प्रदाय' को छोड़कर महाप्रभु के अनुगत हो गये थे। महाप्रभु के श्रीरंगम से प्रस्थान करने पर ये वृन्दावन में उपस्थित हुए और कुछ दिनों तक यहाँ इस निर्जन स्थान में रहकर भजन किया।
  • अपने अन्तिम समय में वृन्दावन में कालीदह के पास भजन करते–करते प्रबोधानन्द सरस्वती नित्यलीला में प्रविष्ट हुए। आज भी उनकी भजन और समाधि स्थली वहाँ दर्शनीय है।


Seealso.jpg इन्हें भी देखें: काम्यवन, ब्रज एवं मथुरा

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः