प्रतिष्ठा

Disamb2.jpg प्रतिष्ठा एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- प्रतिष्ठा (बहुविकल्पी)

प्रतिष्ठा अर्थात स्थापित करने की क्रिया या भाव को कहते हैं। किसी की 'प्रसिद्धि', 'यश' अथवा 'ख्याति' को भी प्रतिष्ठा कहा जाता है।

उदाहरण

एक बार चित्रसेन नामक गंधर्व ने वन में कर्ण, शकुनि आदि को पराजित करके दुर्योधन को पाश में बाँध दिया और कौरवों की रानियों को कैद करके स्वर्ग ले चला। रानियों ने वन में उपस्थित भीम, अर्जुन तथा युधिष्ठिर को सहायता के लिए पुकारा। इसी समय दुर्योधन के मंत्री ने भी आकर युधिष्ठिर से कौरवों की विपत्ति का वर्णन किया तथा सहायता की प्रार्थना की। भीम तो प्रसन्न थे, पर युधिष्ठिर ने कहा कि यह हमारी प्रतिष्ठा का प्रश्न है। उन्हीं के कहने पर भीम और अर्जुन ने चित्रसेन से सभी को मुक्त कराया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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