पुंजिकस्थली

पुंजिकस्थली का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, जिसके अनुसार यह देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थी।

  • एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार भीतर आ-जा रही थी। इससे रुष्ट होकर दुर्वासा ऋषि ने उसे वानरी हो जाने का शाप दे डाला। जब उसने बहुत अनुनय-विनय की, तो उसे इच्छानुसार रूप धारण करने का वर मिल गया। इसके बाद गिरज नामक वानर की पत्नी के गर्भ से इसका जन्म हुआ और 'अंजना' नाम पड़ा। केसरी नाम के वानर से इनका विवाह हुआ और इनके ही गर्भ से वीर हनुमान का जन्म हुआ।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

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