पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि संस्कार हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश संस्कार है।
- यह अन्तिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात् यह संस्कार किया जाता है।
- इस संस्कार को पितृमेध, अन्त्कर्म, दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं।
- यह संस्कार वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा होता है।
- हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद दाह-संस्कार करने का विधान है। केवल सन्न्यासी-महात्माओं के लिए- निरग्रि होने के कारण शरीर छूट जाने पर भूमिसमाधि या जलसमाधि आदि देने का विधान है। कहीं-कहीं सन्न्यासी का भी दाह-संस्कार किया जाता है और उसमें कोई दोष नहीं माना जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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