तूणीर

तूणीर का अर्थ है- 'बाण रखने का आधान'। इसे कंधे पर टाँगा जाता है और जिसमें कई सारे बाण एक साथ रखे जा सकते हैं। इसे 'तरकश' भी कहा जाता है।[1]

  • रामायण तथा महाभारत काल आदि में लड़े जाने वाले युद्धों में योद्धा तूणीर धारण करते थे।
  • महाभारत से पता चलता है कि अर्जुन के पास अक्षय तूणीर था, जिसमें बाण कभी समाप्त नहीं होते थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारतकोश डिस्कवरी पुस्तकालय |संपादन: संजीव प्रसाद 'परमहंस' |पृष्ठ संख्या: 130 |

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