ताते श्री यमुने यमुने जु गावो -नंददास

ताते श्री यमुने यमुने जु गावो -नंददास

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ताते श्री यमुने यमुने जु गावो ।
शेष सहस्र मुख निशदिन गावत, पार नहि पावत ताहि पावो ॥1॥
सकल सुख देनहार तातें करो उच्चार, कहत हो बारम्बार जिन भुलावो ।
नंददास की आस श्री यमुने पूरन करी, तातें घरी घरी चित्त लावि ॥2॥

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