तरंतुक नाम के एक प्राचीन पवित्र स्थान का वर्णन महाभारत में हुआ है।
- महाभारत वनपर्व के अनुसार यह एक विशेष स्थान हौ, जो कुरुक्षेत्र के अंतर्गत है।
- यहाँ एक रात्रि निवास करने से सहस्र गोदान का पुण्य प्राप्त होता है।[1][2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत वनपर्व 86.15.16
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 194 |