तब नागरी कहति सखियनि सौ एते पर ए सौह करै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल


तब नागरी कहति सखियनि सौ एते पर ए सौह करै!
दरसन प्रात देत है हमकौ, निसि औरनि के चित्त हरें।
तुमही देखि लेहु अँग बानक, एते पर क्यौ सही परे।।
कृपा करै अनतही सिधारै, सो आगै तै अब जु टरें।
यह छवि देखि सनाथ भई, मैं अब ताही पर जाइ ढरे।।
'सूर' स्याम रिस देखि चले डरि, कहौ सखी अब ह्याँ न फिरें।।2562।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः