तऊ गँवारिं अहीरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


तऊ गँवारिं अहीरी।
तोसौ कछु नँदनंद हँसि कही, इतने कौ, कबकी न बोलति, न मानै कही री।।
स्याम हँसि हँसि देत, सुनि सुनि कान कानि करति न इक टक ग्वारि रही री।
कहा कहौं हरि सौंऽव तोसी कौ मुँह लगाई, वारौं तोहिं पिय इक रोम पै ही री।।
'सूरदास' प्रभु कौऽव, कहा कहि बरनौ जु, एती तौ कबहुँ काहू की न सही री।।2596।।

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