ढोटा कौन कौ यह री -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी


ढोटा कौन कौ यह री।
स्रुतिमंडल मकराकृत कुंडल कंठ कनक दुलरी।।
घन तन स्याम, कमल दल लोचन, चारु चपल तुल री।
इंदुबदन, मुसुकानि माधुरी, अलकै अलिकुल री।।
उर मुक्ता की माल, पीत पट, मुरली सुर गवरी।
पग नूपूर मनि जटित रुचिर अति, कटि किंकिनि रव री।।
बालक-बृंद-मध्य राजत है, छवि निरखत भुल री।
सोइ सजीवनि 'सूरदास' की महरि रहे उर री।।3026।।

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