डगमगात ऐडात जँभावत आई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग ललित


डगमगात ऐडात जँभावत आई रगपगी रँग भरि कै।
चंद उदौ मुख पेखि री दर्पन, पीक लीक नैननि छबि परि कै।।
बिथुरी अलक सुथरे आनन पर, अति आनंद भरा उर हरि कै।
'सूरज' रसिकराइ रसबस किये नवला रीझे मन ढरि कै।।2011।।

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