श्री श्रीचैतन्य-चरितावली -प्रभुदत्त ब्रह्मचारी1. मंगलाचरण
वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् 'जिनके कर कमलों में मनोहर मुरलि का विराजमान है और जिनके शरीर की आभा नूतन मेघ के समान श्याम है, जो पुनीत पीताम्बर को धारण किये हुए हैं, जिनका मुख शरद के पूर्ण चन्द्रमा के समान है, नेत्र कमल के समान कमनीय हैं तथा बिम्बाफल के समान लाल हैं, ऐसे श्रीकृष्ण को छोड़कर मैं कोई दूसरा परतत्त्व नहीं जानता। अर्थात सर्वस्व तो ये ही वृन्दावनबिहारी मुरली मनोहर हैं।' |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मधुसूदन स्वामी
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