गीता माता -महात्मा गांधी
अनासक्तियोग
चौथा अध्याय
ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान बोले- यह विनाशी योग मैंने विवस्वान (सूर्य) से कहा। उन्होंने मनु से और मनु ने इक्ष्वाकु से कहा। एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदु:। इस प्रकार परंपरा से प्राप्त, राजर्षियों का जाना हुआ वह योग दीर्घकाल के बल से नष्ट हो गया। स एवायं मया तेऽद्य योग: प्रोक्त: पुरातन:। वही पुरातन योग मैंने आज तुझसे कहा है। कारण, तू मेरा भक्त है और यह योग उत्तम मर्म की बात है। अर्जुन उवाच अर्जुन बोले- आपका जन्म तो अभी हुआ है, विवस्वान का पहले हो चुका है। तब मैं कैसे जानूं कि आपने वह (योग) पहले कहा था? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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